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जातिवाद का टॉनिक : जातिगत आरक्षण

YOUNG INDIAN WARRIORS
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“जातिगत आरक्षण” जाति के नाम पर भीख देने के बराबर है ! ऐसा करके लोगों को “भिखमंगा” बनाया जा रहा है ! उन्हे कामचोर, कर्महीन, मूफ़्तखोर और परपोशी बनाया जा रहा है! जातिगत आधार पर किसी को “छोटा” मानना उतना ही ग़लत है, जितना किसी को बड़ा मानना ! किसी को “हरिजन” मानना उतना ही ग़लत है, जितना किसी को “राजपूत” मानना ! बहुत से लोग अंबेडकर को जातिगत आरक्षण का जनक मानते हैं, अगर ऐसा है तो, अंबेडकर ने ग़लत किया था ! उन्होने यह हमेशा के लिए तय कर दिया था की, “तुम पिछडे हो, और हमेशा रहोगे” …..क्योकि जब भी “जातिगत आरक्षण” की बात होगी, लोगों को पिछ्डा, कमजोर, शक्ति विहीन साबित करने का प्रयास होता रहेगा ! उन्हे भले ही थोडा धन मिल जाए, लेकिन हमारा समाज कभी बराबरी का अधिकार नही देगा ! सबसे बड़ी बात…”अपने आप को कमजोर समझना ही इंसान की सबसे बड़ी कमज़ोरी है” ! ज़रूरत है की इन लोगों को जातिवाद के आईने से देखना हम बंद करें, और उन्हे याद दिलाया की वे भी इंसान है, उनके पास भी बराबर की शारीरिक क्षमताएँ हैं, उन क्षमताओं का प्रयोग कर वे भी शिखर पर पहुच सकते है! उन्हे आत्म-विश्वास की ज़रूरत है की, वे कमजोर नही है, वे बिना किसी मदद भी सफलता पा सकते हैं! ….अगर हम अंबेडकर का ही उदाहरण लें, तो क्या जातिगत आरक्षण के आधार पर उन्हे “भारत रत्न” मिला था? अंबेडकर को जो कुछ मिला, उनकी कर्म की वजह से मिला था, ..किसी ने भीख मे नही दिया था !…….लोग भीख का कटोरा जितना जल्दी त्याग करें, उतना ही उनके लिए हितकर होगा ! “ग़रीबी” हर जाति मे है, इसे किसी जाति की पहचान बनाना ग़लत है, ….सफलता के लिए मेहनत का कोई विकल्प नही हो सकता है, मेहनत से ही ग़रीबी को दूर भगाया जा सकता है! सबसे बड़ी शर्म की बात देश के उन चंद नेताओं के लिए है, जो अपने आपको दलितों का मशिहा कहते हैं, दलित के नाम पर राजनीति करके राजसुख भोगने वालों ने आरक्षण का “लालीपोप” देकर लोगों को सफलता से भ्रमित करने का काम किया है,….इनकी यही कोशिस रही है की, इन्हे कमजोर, और शक्तिहीन ही बनाए रखा जाए, क्योकि अगर ये मजबूत हो गये तो….फिर ये राजनीति किसके नाम पर करेंगे ! लोगों को दलित साबित करके, पिछड़ा साबित करके….कमजोर करने और आधुनिकता से दूर रखने का प्रयास किया गया है, ………….आज ज़रूरत है की, जाति को नही, अपने व्यक्तित्वा को अपनी पहचान बनाया जाय, अपने कर्म को अपनी पहचान बनाया जाय ! पूरी दुनिया बदल रही है, लेकिन हम आज भी गंदी मानसिकता से ग्रसित नेताओं की चाल मे फंसकर अपने आपको जातिगत बंधनो मे जकड़े हुए है, …जातिगत आरक्षण की ऐसी घुटि पीला दी गई है की हमे जातिवाद भी अच्छा लगने लगा है, और खुद अपने आपको कमजोर, दलित, और ना जाने क्या-क्या साबित करने मे लगे हुए है! अरे…इंसानों अब तो शर्म करो….भीख माँगना छोड़ो…..आगे बढ़ों, कर्म करो! —–के कुमार “अभिषेक”

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