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श्री मनमोहन सिंह के बारे में जो मेरी राय थी उसे मजबूत करने का काम किया है बारू और पारेख साहब की पुस्तक ने !
आज की भारतीय राजनीति में सफल राजनेता के अंदर कूटनीति, बेईमानी, झूठ, छल -कपट, जलन, अशिष्टता, असभयता,दुर्वयवहार, जैसे गुणों का होना आवश्यक है, अगर अपराधिक कार्यशैली भी हो तो, राजनीति में चार चाँद लग जायेंगे! ये सभी मानवीय अवगुण, आज सफल राजनेता के गुण हो गए है! ये सारे गुण हमारे नेताओं में कूट कूट के भरे पड़े हैं, यही कारण है की हमारे लोकतंत्र को ‘महान’ कहा जाता है क्योकि सर्वाधिक गुणी राजनेता हमारे देश में ही हैं! शायद मनमोहन सिंह का दुर्भाग्य है की उनके अंदर इनमे से कोई गुण मौजूद नहीं है ! मनमोहन सिंह जैसे शांत और स्थिर मस्तिष्क के मानवीय मूल्यों से भरपूर इन्शान के लिए आज की राजनीति में कोई जगह ही नहीं है, आज दूसरों के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाने वाले, अपशब्द बोलने वाले राजनेताओं को मजबूत नेता मन जाता है, गद्दी पाने के लिए हर कर्म-कुकर्म करने वाले नेताओं को जनाधार वाला नेता माना जाता है ! स्पष्ट है की इन काबिल नेताओं के सामने/साथ वे बेहद ही नाकाम और बेकार राजनेता और प्रधानमंत्री सिद्ध हुए ! मनमोहन सिंह को उनके दोस्तों ने साथ रहकर तो दुश्मनों ने सामने से लगातार हमला बोला , उनके खिलाफ लगात्र साजिस हुई, जिसकी कोई औकात नहीं थी उसने भी मनमोहन सिंह को बुरा भला कहा और मजाक उड़ाया, लेकिन इस इन्शान ने कभी किसी के खिलाफ भूल से भी अपशब्द नहीं कहे….! बड़े बड़े संतों का यह देश एक ऐसे संत के रूप में मनमोहन सिंह को याद रखेगा जिसने नैतिकता की हर परीक्षा पास की , बार-बार उकसाने के बावजूद उसकी तपस्या भांग नहीं हुई !
अगर हम अपनी राजनीतिक मजबूरियों को कुछ समय के लिए दरकिनार कर मनमोहन सिंह के बारे में सोचे तो, यहाँ किसी की दो-राय नहीं होगी की …अगर कांग्रेस नेतृत्वा ने प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें राजनीतिक रूप से गुलाम नहीं बनाया होता, तो वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री सिद्ध होते, ! भारत को उदारवादी अर्थव्यवस्था की तरफ मोड़ कर विकाश की नई दिशा देना वाला सख्स में इतनी क्षमता अवश्य थी जिससे आने वाले भविष्य में भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा कर सकते थे!
ये सही है की आज हर किसी ने इस शांत व्यक्ति को तिरस्कृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है, विशेषकर कांग्रेस के लोगों ने जो किया है वह बेहद गन्दी राजनीति को दर्शाता है! लेकिन ये मेरा वादा है की आने वाले समय में इस सख्स को पूरी दुनिया स्वस्थ राजनीति के अंतिम अध्याय के रूप में याद रखेगा, …आज उनके ऊपर अपशब्द बोलने वाले लोग, उनके आदर्श व्यक्तित्व को याद करेंगे और शायद उनकी कमी सम्पूर्ण राजनीतिक जगत महसूस करेगा ! हम भी कभी तस्वीरों में देखकर बच्चों से कहेंगे की, हमारे देश में भी शांत और मृदुभाषी राजनेता प्रधानमंत्री होते थे, …हमारे देश में मनमोहन सिंह जैसे लोग भी प्रधानमंत्री हुए है जिनके शब्दकोष में अपशब्दों के लिए जगह ही नहीं बच्चा था, जिनके ऊपर चुनाव आयोग को नजर रखने की जरुरत नहीं पड़ी.!
व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है की मनमोहन सिंह को उस दौर में होना चाहिए था, जब गांधी हुआ करते थे…उस दौर में होना चाहिए था, जब भारत अपने कदमों पर चलने का प्रयाश कर रहा था! आज की राजनीति में होना उनका व्यक्तिगत दुर्भाग्य है, ..उन्हें शायद किसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर होना चाहिए था, शायद उनके लिए ज्यादा प्रतिष्ठित जगह होती ! कुछ भी हो मेरा मानना है की मनमोहन सिंह एक बेहतरीन राजनीतिकं व्यक्तित्वं के साथ, भारतीय राजनीति का अंतिम स्वस्थ अध्याय समाप्त हो रहा है! .——–के. कुमार ‘अभिषेक’ (१४/०४/२०१४)
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