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पिछले तीन दिनों से संसद की कार्यवाही ठप्प की जा रही हैं ! हालात इस हद तक अलोकतांत्रिक हो गए हैं कि, लोकतंत्र का मंदिर अलोकतांत्रिक पंडितों का अड्डा नजर आने लगा हैं! हर बार की तरह सत्ता पक्ष के द्वारा मिडिया और जनता में यह सन्देश देने का प्रयास किया गया की..वे सदन की कार्यवाही को लेकर गंभीर हैं, विपक्ष के साथ मिलकर जनता के हितों पर चर्चा हेतु माहौल बनाने के लिए संकल्पित हैं! लेकिन अब तक यह स्पष्ट हो चूका हैं कि, सदन की कार्यवाही के प्रति न तो सत्ता पक्ष गंभीर हैं..और न ही विपक्ष ! अजीब तो यह भी हैं, कि दोनों सदनों के माननीय अध्यक्ष का कार्यव्यहार भी किसी कुछ खास उत्साहजनक नहीं दिख रहा हैं! ऐसा लगता हैं, जैसे वे सदन की कार्यवाही टालने को ही बैठे हैं..! वास्तव में यह स्थिति लोकतंत्र में बढ़ती अलोकतांत्रिक प्रवृति का परिचायक हैं! नेताओं को इस बात का तनिक भी खौफ नहीं हैं, की जनता की अदालत में उन्हें अपने कामों का हिसाब भी देना हैं! हकीकत तो यह भी हैं कि ,हम भारतीयों ने कभी यह जानने कि कोशिस ही नहीं कि ……दुबारा वोट मांगने आये जनप्रतिनिधि ने संसद में कैसा प्रदर्शन किया हैं? कितनी बार वे संसद में मौजूद रहे, कितनी चर्चा में भाग लिए और कितने सवाल पूछे ? ….इन बातों से तो हमें लेना-देना ही नहीं होता है…समझना मुश्किल नहीं कि, जब लोकतंत्र में ‘लोक’ ही अपना कर्तव्य भूल जाएँ, ..फिर ‘तंत्र’ कि यही दशा और दिशा हो सकती है! इसी तरह नेताजी हो-हल्ला मचाएंगे…और संसद ठप्प कर मौज फरमाएंगे !
लोकतंत्र के मंदिर में नेताओं का अलोकतांत्रिक कार्यव्यवहार बेहद निंदनीय हैं,..लेकिन वास्तविक हकीकत तो और भी कड़वा हैं! जैसा की हम सभी जानते हैं, पिछले लगभग दो माह में इस सरकार की साख काफी नीचे गिरा हैं ! बात …’ललित गेट’ की हो या मध्यप्रदेश के खुनी रूप धारण कर चुके व्यापम घोटाले की…लगातार विपक्ष ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया हैं ! विदेश मंत्री और भाजपा कि वरिष्टतम नेत्री सुषमा स्वराज का एक ऐसे राष्ट्रद्रोही अपराधी के उप्पर ‘मानवता का मोह आना’. ..जो देश का भगोड़ा हैं,.,.. उस देश में मजाक नहीं हो सकता हैं, जहाँ कानून का राज चलने की बात कही जाती है ! जिस भगोड़े को देश की कई जाँच एजेंसियां करोड़ों के घोटाले और ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ में पकड़ने की फ़िराक में लगी हुई हैं, …उसी ललित मोदी को राजस्थान कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने लन्दन में छुपने में मदद करने का काम किया हैं…उसकी क़ानूनी गारंटी दी गयीं है! …संभव हैं…नयी सरकार ने सत्ता सँभालते ही ‘मानवता’ के पैमाने बदल दिए हों…अब अपराधियों का संरक्षण मानवता बन गया हों…लेकिन मध्यप्रदेश में जो कुछ हो रहा हैं, किसी पैमाने का मोहताज नहीं है! आज़ादी के बाद शायद यह पहली बार ऐसा हो रहा हैं…की बड़ी संख्या में आरोपितों को एक-एक कर संदिग्ध मौत का शिकार होना पड़ रहा हैं , देश में खौफ का माहौल बनता जा रहा हैं, अन्य आरोपियों का परिवार …सुरक्षा की गुहार लगा रहा हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है ! व्यापम घोटाले में ४८ लोगों की मौत महज एक संयोग कैसे माना जा सकता हैं, इस घटना की कवरेज करने गए के पत्रकार की मौत महज एक संयोग कैसे हो सकता है,…क्या हमारी सरकार ने मानवता के साथ-साथ ‘संयोग’ की भी परिभाषा बदल दी? उन्हें जवाब देना चाहिए !
विशेषकर माननीय प्रधानमंत्री जी, जो लगभग हर छोटे-बड़े मुद्दे पर …लम्बा-चौड़ा बोलते हैं, जनता से अपने मन की हर बात कहते हैं, हमें उमीदें थी की जरूर बोलेंगे !…ईरान में विमान दुर्घटना पर २० मिनट के बाद ही संवेदना ट्वीट करने वाले …हम सब के चहेते प्रधामंत्री जी…महीनों बाद ही सही अपनी सरकार, अपनी पार्टी और बड़े नेताओं के उप्पर लगे आरोपों पर सफाई अवश्य देंगे…लेकिन आश्चर्य हैं की ऐसा होता नहीं दिखा रहा हैं! ….प्रधानमंत्री जी न तो सदन में सफाई देने के इक्छुक दिख रहे हैं, और न ही आरोपियों पर कोई करवाई करना चाहते हैं! मन के किसी कोने में यह सवाल उठता हैं…क्या ये वही मोदी जी हैं, जिन्हे कुत्ते के बच्चे के गाड़ी के नीचे आने से भी हमदर्दी होती थे? दुनिया के देशों में हमदर्दी बाँटने वाले सख्स की आत्मा… ४८ लोगों की मौत पर शांत क्यों हैं?
अत्यंत ही दुर्भाग्य है कि, एक तरफ भाजपा सरकार …आरोपियों पर कोई करवाई नहीं करना चाहती हैं, इसके विपरीत कांग्रेस को चुप करने के लिए घोटाले के बदले घोटाले उजागर करने की नीति पर चल रहीं हैं! पिछले दो दिनों में व्यापम और ललित प्रकरण के ..जवाब के रूप में कोंग्रेसी मुख्यमंत्रियों ‘हरीश रावत’ और ‘वीरभद्र’ पर घोटालें के आरोप लगाये रहे हैं! ऐसे में एक पल को यही अहसास होता हैं…की भाजपा कहीं न कहीं कांग्रेस को ब्लैकमेल करना चाहती हैं, यह सबक देना चाहती हैं की…हमारे घोटाले उजागर करोगे,..बदले में हम भी तुम्हारे काले चिठे खोल देंगे…! कहीं न कहीं भाजपा ने कांग्रेस की नब्ज पकड़ ली हैं..! प्रश्न उठता हैं की…हरीश रावत और वीरभद्र के गलत साबित होने मात्र से ..क्या शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और सुषमा स्वराज…सही साबित हो जायेंगे ? ….भाजपा एक राजनैतिक दल हैं, इस नाते उसे कांग्रेस के विरुद्ध राजनीति करने का अधिकार हैं, ….लेकिन अपने उप्पर उठ रहे सवालों का जवाब देना ही होगा, ! ४८ लोगों की मौत …सिर्फ कांग्रेस का मुद्दा नहीं हैं, देश का मुद्दा हैं…आप कांग्रेस को ब्लैकमेल कर सकते हैं…लेकिन जनता को न करें…तो बेहतर है ! केंद्र सरकार को कोंग्रेसी मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा मांगने से पहले… अपने मुख्यमंत्रियों पर स्वेच्छा से करवाई करनी होगी, ….और सभी मामलों की निस्पक्ष जाँच करनी होगी! जो भी दोषी पाया जाएँ.. उसे सजा मिलनी ही चाहिए ! संसद चलाना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिमेदारी है, लेकिन सत्ता पक्ष को ज्यादा गंभीर होना होगा! साथ ही इस बात को भी समझना होगा की…, …विपक्ष में रहकर आपने बड़े-सवाल दागे थे, अब आप विपक्ष में नहीं सरकार में हैं..अब आप को जवाब देने की आदत डालनी होगी ! और हाँ…सवाल के बदले सवाल का तातपर्य जनता अच्छी तरह जनता हैं…! जो स्थिति बन रही हैं…जनता में यही सन्देश जा रहा हैं…२०१४ में चेहरे ही बदले थे, समूह ही बदले ….बाकि तो वहीँ है!
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